Friday, April 10, 2009
Jan Nisar Akhtar
"रन्ज-ओ-गम मांगे है, अन्दोह-ओ-बला मांगे है
दील वो मुजरिम है जो खुद अपनी सज़ा मांगे है
तु भी इक दौलत-ए-नायाब है पर क्या कहीऎ
ज़ीदगी और भी कुछ तेरे सीवा मांगे है"
Jan Nisar Akhtar was born on 14 feb. 1914 in Gwalior, Madhya Pradesh, India. was a famous Indian poet of Urdu ghazals and nazms and also a lyricist for Bollywood. He taught in a college in Bhopal but moved to Bombay (now Mumbai) where he wrote lyrics for Urdu/Hindi movies besides ghazals and nazms for general publication. His association with Madan Mohan, the music director resulted in many memorable movie songs. He was married to Safiya sister of another renowned poet, Majaz.
"तमाम उम्र अज़ाबों का सिलसिला तो रहा
ये कम नहीं हमें जीने का हौसला तो रहा
गुज़र ही आये किसी तरह तेरे दिवाने
कदम कदम पे कोई सख्त मरहला तो रहा
चलो ना इश्क ही जीता न अक्ल हार सकी
तमाम वक्त मज़े का मुकाबला तो रहा
मैं तेरी ज़ात में गुम हो सका न तु मुझ में
बहुत करीब थे हम फिर भी फ़ासला तो रहा"
Jan Nisar Akhtar was father of lyricist and script-writer Javed Akhtar and psychiatrist and poet Salman Akhtar and grandfather of Farhan Akhtar and Zoya Akhtar and also of Kabir Akhtar and Nishat Akhtar. Father-in-law of Shabana Azmi and Monisha Nayar and ex-father-in-law of Honey Irani and Raj Verma.
"ज़रा सी बात पे हर रस्म तोड आया था
दिल-ए-तबाह ने भी क्या मिज़ाज पाया था
मुआफ़ कर न सकी मेरी ज़िन्दगी मुझ को
वो एक लम्हा कि मैं तुझ से तंग आया था
शगुफ़्ता फुल सिमट कर कली बने जैसे
कुछ इस तरह से तुने बदन चुराया था
गुज़र गया है कोइ लम्हा-ए-शरर की तरह
अभी तो मैन उसे पहचान भी ना पाया था
पता नही कि मेरे बाद उन पे क्या गुज़री
मैं चन्द ख्वाब ज़माने में छोड आया था "
He died in Mumbai, India on 19 August, 1976.
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